Thursday, December 31, 2009

राजनैतिक झलक- २००९

२००९ के सुरुवात से ही पूरे देश मै चुनाव को लेकर, राजनीति गहमागहमी रहीं । पूर्ब चुनाव कमिशनर टी.कृष्णमूर्ती का अब के चुनाव कमिशनर नवीन चावला के ऊपर कथित पख्यापात का आरोप लगाने साथ ही महामहिम राष्ट्रपति को हटाने के लिए पत्र लिखना , देश की चुनाव के इतिहास मैं पहली वार हुआ, जो चनाव के स्वच्छता के ऊपर फिर से सवाल खडी किया । फिर भी, आगे नवीन चावला के नेतृत्व मैं देश और तीन राज्यों के चुनाव सुचारू रूप से समपर्ण हुआ। लोक सभा चुनाव मैं , डॉ.मनमोहन सिंग कांग्रेस तथा यु .पी.ए फिर से गडीपाने मैं कामियाब हुए । वेसे ही, ओड़िसा मैं नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश मैं स्वर्गीय राज शेखर रेडी और सिकिम मैं, दोरोजी कुंडू फिर से सता के मलाई चखने के लिए कामियाब मिला । इस लोक सभा चुनाव मैं, पहली वार मीरा कुमार के रूप मैं लोक सभा की प्रथम महिला वाचस्पती बनी। पूर्ब आ.ई.ऍफ़.एस ऑफीसर मीरा कुमार बिहार के सासाराम संसदीय खेत्र से प्रतिनिधित्व करते हें और व बिहार के पूर्ब मुख्यमंत्री जगतजीवनराम के पुत्री
इस साल की चुनाव मै सब से जादा ५५ महिला संसाद के रूप मै चुनाव जीत कर संसद पहंचे। जिस से ठंडे बस्ते मै पड़ी, ''महिला रेजर्वेसन'' विल को फिर से जान मिल गया। उमीद के मुताविक, सरकार संसद मैं ''महिला रेजर्वेसन'' को पेश किया । जिस को जद (यू) , समाजवादी पार्टी और लालु जी की आर.जे.डी इस वील को विरोध किया, जब की बाक़ी दल ने इस विल को सहमति जताई । इस के लिए , संसद मैं कुछ दिन सोरसरवा भी हुआ। इस साल की राजनीतिक इतिहास मै एक दुखद घटना भी घटी। आंध्र प्रदेश के पूर्ब मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजशेखर रेडी एक हेलिकेप्तर हादसा मैं मौत होगया। वास्तब मैं, यह एक बहत ही दुखद घटना था । इस के साथ ही, प.बंगाल मैं के लाल गढ़ मैं माओवादियों की हिंसा और भुबनेश्वर राजधानी को अगवा करना, बंगाल मैं कम्युनिस्ट सरकार का कोमजोरी कड़ी को सब के सामने लेआया। वेसे ही, ओड़िसा मैं विधान सभा के एक दीन बढाकर
जल्दवाजी मैं ''विश्वविद्यालय विल'' को परीत करना भी राजनैतिक खबरों मैं सुर्खिया बनी ।
पूर्ब केंद्रमंत्री जसवंत सिंह को अपनी अपती जनक तिपनी के लिए भाजपा से हटाना और आर.एस.एस का नयी युवाओं के हाथों मैं, भाजपा की स्टीयरिंग दिलाने ले लिए आडवानी और राजनाथ सिंह को अपने पद से इस्ताफा देना भी राजनीती गरमा रखा । संसद और देश के विभीन्न प्रदेशों की विधान सभा मैं महंगाई को लेकर सदन की कार्य मैं वार वार रुकावट बनी । जब की महारास्त्र के विधान सभा चुनाव मैं कांग्रेस-एन.सी.पी गठ्वंधन को फिर से बहुमत मिली और राज ठाकरे की एम्.एन.एस ने शिवसेना-भाजपा गठ्वंधन की वोट बैंक मैं सेंध मारकर अपनी जीत का परचम लहराया। वेसे ही ओड़िसा मैं खान की घोटला से परेसान ओड़िसा सरकार सदन की कार्य पूरे होने से १५ दिन पहले ही सदन को स्थगित करना और इस के विरुद्ध मैं ''प्रतीक विधानसभा'' चलना वाकई राजनैतिक पंडितों को हैरान करदिया। साथ ही, १७ साल वाद , संसद मैं लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पेश करना, विपख्य के विरोध हेतु, संसद की कार्य मैं वार वार वाधा उपजी और सदन को वार वार मूल तबी किया गया । इस के अलावा, तेलंगाना राज्य गठन karne के लिए, हैदरावाद मैं अनसन करना और उस के वाद केंद्र के तरफ से हरी झंडी दिखाना, आन्ध्र के राजनैतिक माहोल मैं भूचाल लाया । केंद्र की इस फैसला को रायलसीमा और तटीय आंध्र के सभी संसद और विधायक सामूहिक त्यागपत्र देना, प्रदेश की राजनीति गर्माया । गौरतलब हें, यदी तेलंगाना गठन होता हें, हैदरावाद तेलंगाना की हिस्से मैं चलाजायेगा। जिस को रायलसीमा और तटीय आन्ध्र के नेता विरोध कर रहे हें । वहाँ, अब भी स्तिथी मैं सुधर नही हुआ हें । इस इस साल के आखिर मैं, वीजेपी की वागदौर राजनाथ के बदले नागपुर के नितीन गडकरी ने कमान संभाली, जब की विपख के नेता के रूप मैं आडवानी के बदले दिल्ली के सुषमा सवराज संभाली। जब की दल के संम्भिधान मैं एक संसोधन लाकर अडवानी को भाजपा संसदीय दल के नेता और यू.पी.ए तरह एनडीए की कमान आडवानी के हाथो थमाई गयी। एन.डी.ए की संजोजक के रूप मैं जेडयू के सरद यादव बनाया गया, जॉब की राज्य सभा मैं विपख्य नेता अरुण जेटली को नही बदला गया।
इस साल की राजनैतिक आकाश मैं उजाला और अन्धेरा के विच खूब छुपा रुस्तम खेला गया । यह आगे और बढ़ने की संम्भावना हें । कियों की, अब झारखण्ड की चनाव परिणाम आचुकी हें, और इस से सुरु होगी राजनीति काउनडाउन - २०१० । इस के अलावा, तेलंगाना मुधा , लिब्रहान कमीशन की रिपोर्ट, २०१० की राजनीति को पूरा गरम रखेगी। जब की, महिला रेजर्वेसन विल के ऊपर गिरिजा ब्यास कमीटी की रिपोर्ट और अल्पसंख्यक को रेसेरवेसन देना जेसे विषय नयी साल की राजनीति की तापमान ऊपर रहेगा । इस के अलावा, विपख्य के नयी नेत्री और भाजपा के नया प्रमुख के कामकाज केसा रहेगा, यह देखनेलायक होगी । खैर, बात जो भी हो , हम तो यह आशा करते हें, इस सारे समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान हो । परन्तु , यह आशा करना बेबकुफ़ी होगी, नयी साल की राजनैतिक तापमान, इस साल की राजनैतिक तापमान से कम होगी ।