Tuesday, January 6, 2009

हम साथ साथ हें

भारत १५ अगस्त १९४७ को स्वाधीन हुआ , और २६ जनवरी १९५० को गणतंत्र रास्ट्र के रूप मैं, विश्व स्टार पर , अपनी पहेचन बनाई। हम व, सभी दर्दनाक हादसों को भूल नही पाएँगे, जो भारत के स्वाधीन होने के वक्त हुआ था। आज भी, व दंगो को याद करके , लोग सहमे जाते हें। बस्ताविक , यहाँ घटना होने के बाबजूद भी, लोगो ने , अपनी हीमत नही खोया, और होसले के साथ , सब कुछ भूल कर, नई सुबह की , नई किरण के साथ, अपनी अपनी , जिन्देगी की सुरुवात फ़िर किया।
आहिस्ता आहिस्ता, भारत की लोगो की जिन्देगी, पटरी पर दौड़ने लगा , और , एक नई उमीद लेकर , देश की प्रगती मैं साझेदारी बने। आज, उस हिमत का नतीजा के रूप मैं, बारात मैं, रिलाईंस, टाटा, बिरला, मीतल जेसे विश्व के बड़े बड़े कंपनियों ने , दुनिया के सामने खडा हें। भारत की स्वाधीनता के ६० साल बाद , भारत की तस्वीर , दुनिया मैं, एक उज्वल -ग्लोबल देश की रूप मैं, उभर कर आया हें। इस के साथ साथ , भारत साईंस, तकनीक, शिल्प, बाणिज्य और राख्या मामलो मैं, अबल हें, और, दुनिया के प्रमुख पाँच रास्त्रो के बाद, भारत अपनी दबेदारी थोक रहा हें।
भारत की प्रगती के तरफ कदम उठामें, भारत की लोगो के रास्त्रो प्रती, बिस्वास, देशभक्ति , और एकता जेसे भाबना भी अहम् रहा हें। आज, भारत स्वाधीनता के ६० साल बाद भी , यही एकता के बदौलत, अनेक धर्म, जाती, भाषा,और राज्यों के बाबजूद , हम एक हें। इसलिए, सारा दुनिया के सामने, हामारे देश की अलग ही पहेचान हें। परन्तु, इस साल की ख़तम होते होते , इसे प्रतीत हो रा हे , ये एकता मैं, आहिस्ता आहिस्ता , छेद हो रहां हें। कियु की, आज कुछ दिनों से धर्म धर्म-धर्म के विच संप्रदईक्ता दंगा भड़क रहा हें, जाती- जाती के विच भेद , और, भाषा-भाषा के विच टकराब जेसे अन्चालिक्ताबाद का तान्दाब रूप दिखने लगा हें।
कियु एसा हो रहा हें ? हामारे बनाई हुई एकता, बिस्वास को, कौन तोड़ना चाहता हें ? हम हकीकत को जानने से पहेले ही, दुसरो की, बथो से, कियु, बेहेकाब मैं, आते हें ? ये सारे सबाल, आज भारत-माता , ये मतुभुमी , हमें, चिला चिला करके पुच रहा हें,- आखीर कियु , धर्म, जाती , भाषा के नाम पर , आपसे लाद रहे हो ? आखीर कियु, हिन्दुस्थान एक होने के बाबजूद , हामारे दिल मैं, दुसरे की प्रती , इतनी घृणा कियु कियु कियु ?
ये सारे सबाल , आज मौजूदा हालत मैं बार बार उठ रहा हें। परन्तु, कोई , इस बिसय को मालूम करने की इच्छा शक्ति नही हें। हम, दुसरे की बथो से, बहेकर , ग़लत कदम उठा लेते हें, जो की , हम लोग ही, जोश मैं, होश खो कर , परिसानी झेलना पड़ता हें। आगे जाकर , हम या हमारे रिश्तेदारों को, बहत मुशिव्त का सामना करना पड़ता हें। परन्तु, जो लोग, हामारे द्वारा , ये सब घीलोना हरकत करवाते हें, व , अपनी फाईदा की चाकर मैं रहेते हें, और , सब कुछ देख कर भी दृस्त्रस्ता बन जाते हें। हम, अदालत से ठोकर खा कर , जेल मैं, चाकी पिसते हें। तब , हम लोगो की हालत पूछने बाला कोई नही होता हें। आखीर , ग़लत काम का नतीजा, भयानक ही होता हें।
खेर, इस साल मैं, ये आशा करना चाहिए , पिछले साल जेसा, भयानक और दर्दनाक घटनाओ का सिलसिला थम कर , फ़िर से दुबारा दोहरा ना जाए। जो हुआ , सो हुआ। हम , सब कुछ भूलकर , आपस की तनाब को बिराम दे कर , हम लोग फ़िर आगे मिल कर बढ़ेंगे। जिस मैं, इस मिती या देश मैं, फ़िर से रोनक आयेगा, और, देश की खोया जा रहा पहेचन फ़िर बापस आयेगा। आखीर, हम सब एक हे ना ....

1 comment:

Unknown said...

bahut sahi jaankaari de aapne...