Thursday, March 11, 2010

रचा इतिहास.....

सचमुच ९ मार्च, भारतीय संसदीय इतिहास मैं एक ऐतिहासिक दिन था। क्यों की, संसद की उपरी सदन राज्यसभा की उपरी सदन मैं, महिला आरख्यन बिल को पारित होगया। १४ साल से लटकी इस बिल को पास करने मैं सरकार को बड़ी मसतकत करनी पड़ी। यादव ब्रिगेड की विरोध हेतु, ८ मार्च को राज्यसभा मैं पारित होनहीं पाया था। परंतु, सरकार ने ९ मार्च को पूरी तयारी के साथ आई थी। पहले से कांग्रेस, भाजपा और लेफ्ट ने बिल की पख्य मैं भोट देने के लिए हीप जारी किये थे । यु.पी.ए और एन.डी.ए की सभी घटक दल के साथ छोटे छोटे पार्टी भी इस बिल को सापोर्ट कर रहे थे । हाँ, ममता बानार्जी और शरद यादव इस बिल से विरोध मई थे । फिर भी, राज्यसभा मैं, १८६ भोट से यह बिल पारित होगया। क्यों की, संभीधान की धारा ३६८ के अनुसार, बिल को पारित करने के लिए, उपस्थित सदस्य की दो-तियाही भोट से पारित करना जरुरी हें । राज्यसभा मैं पारित होने के बाद, सरकार अब लोकसभा मैं इस बिल को पेश करेगी। उसके बाद, इस बिल को महामहीम राष्ट्रपती के पास भेज दिया जाएगा। राष्ट्रपती इस बील को सभी राज्य के विधानसभाओं को भेज देंगे। इस बिल को अधि से ज्यादा राज्य के विधानसभा की मंजूरी होना जरुरी हें । उसके बाद, राष्ट्रपती इस बिल को मंजूरी देंगे और उसके बाद इस महिला आरख्यन को लागु किया जाएगा। ये १०८ वा संभिधान संसोधन हैं। सायद, ए सारे पक्रिया पुरे होते होते सन २०१४ तक लागगी । खैर, जो भी हो , ये महिला आरख्यन बिल, देश कि गणतंत्र मैं एक नई इतिहास रचने की साथ ही, देश को एक नई शिखर पर पहंचाने वाला हें । जय नारी सकती जय .....

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