Friday, November 6, 2009

पंजे का परचम......

आम चुनाव मैं जीत की खुशी का खुमार अभी कम नही हुआ था कि तिन राज्यों मैं हुए विधानसभा चुनाव मैं कांग्रेस का विजय- ध्वजा एक वार फ़िर लहराया । लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फ़िर अरुणाचल प्रदेश , हरियाणा और महाराष्ट्र मैं कांग्रस के पख्य मैं इस कदर झूमकर बयार बही कि मतदाताओं ने तिनं पूर्ब मुख्यमंत्रियों को ही सूबे की सिंहासन पर पुनः स्थापित कर दिया । अरुणाचल प्रदेश मैं दोरजी खांडू, हरियाणा मैं भूपेंद्र सिंह हुडा, महारष्ट्र मैं अशोक चह्वाण के सिर पर फ़िर ताज बंध गया ।
इन चुनाव के परिणाम जो भी हो , एक वार फ़िर साबित होगया, विभिन्न घटना क्रम और आरोप-प्रत्यारोप के बाबजूद , जनता फिलहाल तो हाथ के साथ नज़र आरहा हें । अरुणाचल प्रदेश मैं चीन की चिकचिक का मुहं तोड़ जबाब देते हुए , चौथी वार कांग्रस के दोरजी खांडू को सता की चाबी थमाई । जब की महाराष्ट्र मैं भोट प्रतिसत कम होने की बाबजूद, जनता ने कांग्रस -रांकपा गठवधन को बहुमत देने साथ ही , कांग्रस के अशोक चह्वाण को फ़िर से दुवारा सता की मलाई चखाया । वेसे ही , हरियाणा मैं, कांग्रस को पिछले चुनाव मैं भले ही कम सीटें मिले , परन्तु कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुडा ने फ़िर से गडी पाने मैं कामियाब रहे । हरियाणा मैं यह पहली वार हुआ , किसी वक्ती को लगातार दूसरी वार सत्ता नशीब हुआ । इन तिन विधानसभा चुनाव मैं, कांग्रस ने लोकसभा चुनाव मैं मिली जित को दोहराया, जब की भाजपा को फ़िर हार की मुहं खाना पडा । इन विधानसभा चुनाव मैं , भाजपा को मिली हार के वाद, फ़िर से पार्टी के अन्दर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर घमासान तेज होगया हें । पहली से ही , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तरफ से भाजपा के ऊपर आडवानी और राजनाथ सिंह को हटाने के लिए दवाब हें । अब मिली हार से , फ़िर पार्टी के अन्दर कुर्सी को लेकर घमासान होना लाजमी हें ।
तिन विधानसभा चुनाव मैं एक बात गौर करनेवाला था - छोटे दोलों की सीट दर्ज करना । कियों की , महाराष्ट्र मैं , राज ठाकरे की नव निर्माण सेना (मनसे) ने १३ सीटों पर जित दर्ज की । जब कि , मनसे ने शिवसेना -भाजपा गठवधन को ४० सीटों से अधिक सिट पर नुक्सान पहंचाया । जिसका फाईदा सीधे
कांग्रस-रांकपा गठवधन को हुआ । वेसे ही , अरुणाचल प्रदेश मैं , रेल मंत्री ममता वानार्जी की त्रूलमूल कांग्रस पार्टी ने चुनाव मैं मैं कूद कर ५ सीटों पर वाजी मार ली । सायद यह पहला मौका हें , ममता वानार्जी की पार्टी को अपनी राज्य प.बंगाल के वाहर , किसी राज्यों मैं शानदार जित मिला । ये बात, कांग्रेस को थोड़ा सोचना चाहिए ।
चुनाव परिणाम जो भी हो , यह चुनाव कांग्रस की '' विजन फॉर राहुल ताजपोशी- २०१२ '' के लिए अच्छी ख़बर हें । इन दिनों समय और भाग्य कांग्रस के साथ हेतु , पिछ्ले लोकसभा चुनाव और मौजूदा संपर्ण हुए विधानसभा चुनाव मैं सबसे ज्यादा कांग्रेस को फाईदा मिला । इसलिए , कांग्रसियों ने फ़िर आश लगा कर बेठें हें , आगे फ़िर कांगेस की पुरानी '' गांधी-गोल्डन पीरियड '' वापस आजायेगा । फिलहाल कांग्रस ये कोशिश मैं हें , अपितु इन दिनों मिल रहीं सफलता की वलबूते पर आनेवाले लोकसभा चुनाव मैं , पुनः पंजे का परचम लहरा सके ।

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