Thursday, May 28, 2009

चुनाव....

भाई अगया चुनाव ,
ये लोकतंत्र का सबसे बड़ा महापर्व .....

नेता घर से घर जा कर मांगते हें भोट
वादा पे वादा, सब कुछ कर के दिखायेंगे,
सिर्फ़ मुझे भोट दीजिये
और पाँच साल के लिए ......

आखिर, पाँच साल के बाद ,
फ़िर नेता दीखते हें ,
बीच मै , उनको जनता की याद नही ,
सायद, नेता भूल गए उनके वादा ......

ये देश की नेता भूल जाते हें , जल्दी वादा,
सिर्फ़ पाँच साल के वाद , याद आते हें जनता,
लोग नेताओ के मदत के लिए रोज पिसते हें ,
परन्तु, उनके बात सुनने के लिए कोई नही हें .......

ये भाई लोकतंत्र हें हमारा,
वाहा, वाहा , नेताओ की किया कहेना,
हें भगवान् , इन नेताओं को थोड़ा सदबुद्धि देना .......

Wednesday, May 27, 2009

ये चुनाब फिल्मी हें ....

ये चुनाब फिल्मी हें । जी हाँ , मौजूदा साल हुई , पंदरवा चुनाब को देख कर ये ही प्रतीत हो रहा हें । इस साल की चुनाब मै, नेताओ के लिए कोई मुदा ही नही था । हमारे नेताओ के लिए, लोगो की मौलिक समस्या, जेसे- विजुकी, सड़क और पानी की कोई अहम् मुदा नही था । एसे लग रा था, जेसे देश मै कोई समस्या ही नही था । एक बात सच हे, हमारे नेताओ को पिछले चुनाब मै किया हुआ वादा आज तक , पूरा हुआ या नही । ये तो सिर्फ़ देश की जनता ही बता सकते हे ।
हमारे नेताओ कोई चुनाब स्टाईल किसी फ़िल्म शो से कम नही था । चुनाब प्रचार के द्वारान एक्टिंग, स्क्रिप्ट के साथ पीछे से दिरेक्टोर की भूमिका भी सुर्खिया बनी। इस देश की नेताओं को पता हे, ये देश की वोटर बहत भोले होते हें, जिनको धर्म, जाती, भासा के नाम पर आपसे लढाई कर ख़ुद फाईदा ले सकते हो । सिर्फ़ आग मै घी डालना चाहिए । जी हाँ, मौजूदा दौर की सभी छोटे और बड़े नेताओं की ये ही स्टाईल । देखए ना, मुना भाई अभिनय से नेता बने और उसके बाद, समाजबादी पार्टी के महासचिब संजय दत की स्टाईल । वह उत्तर प्रदेश राज्य के मयु मै, उनको बीते हुए कल की याद आगया । उनके बात को माने तो , वह कहेते हें, वह जब जेल मै थे, उनको ये कहेकर मार रहे थे, कियु की उनकी माँ मुस्लिम थी। इस बात को राजनैतिक विश्लेषण से जुड़े लोगो का कहेना हे, मुना भाई को, आख़िर इतने साल के बाद , वह बात कियु याद आया । यदि ये बात सच हे, संजय डट तब कियु अदालत को नही बताया
और, मुना भाई को सिर्फ़ मौऊ जेसे मुस्लिम आबादी इलाका मै ही ये बात याद आया । ये बात साफ़ हे, वह अनजाने मै नही कहा । वह तो राजनीति मै नए हे । जाहिर सी बात हे, ये चालाकी समाजबादी पार्टी की महासचिब अमर सिंह की होगी या मुलायम सिंह यादब की होगी । ये सकुनी की चाल ,हामारे लोगो को पता केसे होगा, आख़िर परधे की पीछे किया खिचडी पक रही हें ।
वेसे ही , बीजेपी के नेता वरुण गांधी की , पीलीभीत मै दिया भड़काओ भासन किसी से छुपा नही हें । वरुण गांधी से एक कदम आगे, बिहार के किसानगंज मै, आर.जे.दी के नेता लालू प्रसाद यादव ने दिया हुआ भासान , मौजूदा दौर मै गुजरती लोकतंत्र की बदहाली का ये छोटा सा नमूना हे । इस दौर मै, सभी छोटे , बड़े और वरिस्थ नेता ने आपनी आपनी छाप छोड़ी हें ।
मौजूदा दौर की हालत मै, नेताओं को मीडिया मै आपनी मज्दुगी दिलाने के लिए , नेता कुछ भी बोल लेते हें, वह ये भी कभी सोचते नही, उनके ये बात से किसी के दिल को ठेस पहंच सकता हे या उनकी जख्मी मै नमक डालना जेसे ही होगा । आज हर जगह पर धर्म, भासा, और जाती के नाम पर लढाई होता हे । हामारे नेता, इस लढाई का ऐ.सी रूम मै मजा लेते हें । इस लिए आज वक्त आगया, हम वोट डालने से पहेले , उनकी ख़ुद की पहेचान की बदले उनकी , निर्वाचन खेत्र मै किया हुआ विकाश और दुसरे पहेलु को देख कर वोट देंगे । इसलिए, '' वोटर जागो
वोटर जागो '' ।