Sunday, February 28, 2010

राष्ट्रीय खेल से नदारत रहे हिंदी एलेत्रोनिक्क्स मीडिया....

आज, यानी २८ फेब्रुआरी से हाकी विश्व कप दिल्ली से सुरु हो रा हैं । क्रिकेट को अपनी धर्म और जूनून माने वालें हाकी पपूरालिटी कम जरुर हैं, परंतु जूनून कम नहीं हैं । इस का अंदाजा, आप भारत-पाकिस्तान के विच होनेवाले मैच के लिए १६०० टिकट वक्त से पहेले ख़तम हो जाना। परंतु, एलेत्रोनिक्स मिडिया को सिर्फ तो सिर्फ क्रिकेट ही चाहिए, क्यों की टी.आर.पी जो बौटर ना हैं । इस मैं कोई सक नहीं की, भारत मैं सबसे ज्यादा क्रिकेट देखते हैं, परंतु एलेत्रोनिक्स मिडिया को क्या एक जिम्मेदार निभाते हुए, राष्ट्रीय खेल को अछि तरीके से कोव्रेज़ नहीं करना चाहिए । फिर भी, कुछ अंग्रेज न्यूज़ चानेल तो दो-तीन से इस खेल के लिए कोव्रेज कर रहे हैं, जिस मैं एंडी.टीवी, सिएनेन-आईबीएन और डीडी न्यूज़ सामिल हैं । हिंदी एलेत्रोनिक्स मीडिया तो हद कर दी । एक भी कोई हिंदी न्यूज़ चानील सुबह ११ बजे तक ख़ास प्रोग्राम नहीं रखे । खुद को देश की सर्वश्रेस्ठ हिंदी चानेल का दवा करती आजतक सुबह १०.३० वजे हाकी के वदले क्रिकेट की विशेष प्रोग्राम देखहा रहे थे। हाँ व सचिन के ऊपर देखा रहे थे । इस मैं कोई दोहराई नहीं, सचिन एक महान खिलाड़ी हैं, परंतु उनको दोहोरा सतक मारते हुए, दो दिन से ऊपर होगया । क्या आज दोदिन पुराने सताकिया पारी को देखाना, महत्वपूर्ण हैं या आज की भारत-पाकिस्तान की हाकी मैच और हाकी विश्व कप को देखाना । वेसे ही हालत, स्टार न्यूज़ और बाकी न्यूज़ चानेल भी रहीं । क्या करे हमारे संभीधान की चौथा खंब माने जाने वाले, भारतीय मीडिया की ये हालत हैं, जो टी.आर.पी की एबज मैं लोगों की चाहत की बाहाना बना कर हमारे राष्ट्रीय खेल को देखाने के लिए वक्त नहीं । उनको तो सिर्फ, क्रिकेट, सेलेब्रेटी, फिल्म स्टार ही सुबह से रात तक नज़र आती हैं । अब की नज़ारा को देख कर, एसे लग राहां हैं, हिंदी एलेत्रोनिक्स मिडिया की सचाई, ईमानदारी, और हेइसियत आहिस्ता आहिस्ता गिर रहा हैं । क्या होगा, हिंदी एलेत्रिनिक्स मीडिया का ???

हमें तो सिर्फ विश्व कप चाहिए, और कुछ नहीं.....

आज सुरु होरा हैं, हाकी का महाकुंभ। नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रिय स्तादियम मैं सुरु होगी इस हईवोल्तेज़ खेल । पहले दिन यानी २८ फेब्रुआरी से ही, सुरु होगी भारत- पाकिस्तान की मैच से । भारत को आगे की मैच जितने के लिए ये मैच तो महत्वपूर्ण होने की साथ ही, पाकिस्तान के होने के कारण मेजवान टीम के ऊपर दबाब रहेगी । कहा जा रही हैं, भारत-पाकिस्तान के मैच के लिए १६०० टिकट पहेले से बिक चुके हैं । इस लिए, इस मैच के लिए, संडे हाउसफुल रहेगी । भारत पाकिस्तान के अलावा, ०२ मार्च को ऑस्ट्रेलिया के साथ, ०४ मार्च को स्पेन के साथ, ०६ मैच को इंग्लैंड के साथ और ०८ मार्च को साउथ अफ्रिका के साथ भिडंत होगी। विव रेंकिंग मैं भारत १२ वी रेंकिंग पर हैं ।
वेसे, भारत अपनी कड़े अभ्यास मैच के बाद, अब तैयार हैं, विश्व कैप मैं खेलने के लिए। भारत की कमान, फारवार्ड राजपाल सिंग पर हैं। डिफेंडर के रूप मैं संदीप सिंह, दिवाकर राम और धनञ्जय महादिक जेसे खिलाड़ी हैं, जब की मिड फिल्डर के रूप मैं गुरबाज सिंह, भिक्रम पिल्लै, अर्जुन हल्पा, भारत चिकरा, दानिश मुस्तफा और तुषार खांडेकर जेसे खिलाड़ी हैं । जब की, दीपक ठाकुर , गुरबिंदर चांदी, राजपाल सिंह, प्रोभोजित सिंह, सर्वंजित सिंह, अर्जुन हल्पा और शिवेंदर सिंह जेसे खिलाड़ी फोर्वार्ड के रूप मैं हैं । भारत की गोल कीपर दाराम्दार अन्द्र्यु डिसूजा के ऊपर होगी ।
भारत हमेसा हाकी मैं सबसे दाबेदार रहा चुका हैं । परन्तु, हाल कुछ साल से हाकी प्रदर्सन अच्छा नहीं रहीं हैं । फिर भी, विदेशी कोच जज ब्राषा से भारतीय खिलाड़ियों को बहत कुछ सिखने के लिए मिल रही हैं । हाल ही मैं, अभ्याश मैच के द्वाराण भारत आछी फॉर्मेट पे नज़र आई। हम ये ही आशा करते हैं , भारत फिर से आपनी पूरानी रंग मैं नज़र आये । तो डील थाम कर बेठिये, भारत-पकिस्तान के साथ सभी मैच को देखने के लिए । हाकी फ्यान तो ये ही कहा रे हैं- हमें तो सिर्फ हाकी विश्व कप चाहिए और कुछ नहीं ...... तो मेरे शेरो करोलो कब्जा विश्व कप को ..... चकदे इंडिया, चकदे......

आज से सुरु होरा हैं- हाकी का महासंग्राम


जी हाँ, आज सुरु होरहा हैं, ''हीरो होंडा फीफा हाकी विश्व कप -२०१० ''। इस हाई भोल्तेज की सुरुवात होगी नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्ताडियम मैं । इस विश्व कप मैं दो पूल बनाया गया हैं। पूल ये मैं- आर्जेन्टीना, कनाडा, जर्मनी, कोरिया, हंलांड और न्यूजलेंड सामिल हैं । जब की, पूल बी मैं - भारत, पाकीस्तान,ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, इंग्लैंड और साउथ अफ्रिका सामिल हैं । पहले दिन ही, भारत और पाकिस्तान की मैच से आगाज गोगी। भारत-पाकिस्तान की मैच रात ८.३५ बजे सुरु होगी । २८ फेब्रुआरी मैं विश्व कप मैं, पहला मैच ४.३५ बजह से साउथ आफ्रिका और स्पेन मैच से सुरु होगी । १९७५ मैं भारत विश्व कप चैम्पियन था। जाहिर सी बात हैं, मेजबान भारत के ऊपर मैच जितने का दबाब रहेगी । विश्व हाकी रंकिंग मैं भारत का स्थान १२ वी स्थान पे हैं ।
इस हाईवोल्टेज खेल के लिए दिल्ली पूलिस ने तगड़े सुरक्या इंतजाम किया हैं । दर्शोको को स्तादियम के अंदर टिकट के अलावा और कुछ भी लेने की इजाजत नहीं दिया जा रही हैं । दिल्ली पूलिस की ये इंतजाम राष्ट्रमंडल खेल से पहले रियाल्सल के दौर पर आजमारही हैं । इस लिए दुनिया भर की देशों की इस खेल पर नजर रखे हुए हैं सुरक्या को देखते हुए, ध्यानचंद राष्ट्रीय स्तादियम के आस पास, यानी इंडिया गेट के सटे हुए सारे मार्गो को शुक्रुवार से ही आम जातायात के लिए बंद करदिया गया हैं । विश्व के मधेनाज़र, मिशाफिरों को साहन्जाहा रोड, इंडिया गेट जी-लेक्स रोड, तिलक रोड, मथुरा रोड और कोपोंसियाँ मार्ग १३ मार्च तक आम यातायात के लिए बंद रहेगी ।हम तो ये ही चाहाते हैं, ये सारे मैच विना वाधाओं से पूरा हो जाए। इस हईवोल्तेज़ मैच की ओफ्फिसिअल टेलीकास्ट/लाइव तेंन स्पोर्ट्स कर रही हैं । हम तो ये ही कहेंगे- दिल्ली के सभी हाकी प्रेमियों मेजोर ध्यानचंद राष्ट्रिय स्तादियम जा कर हर मैच देखें और भारत के साथ सभी टीमों की हौसला बढाए।

Saturday, February 27, 2010

दादा ! ये आमार बजट हैं....


हमेसा आम आदमी का राग आलापनेवालें कांग्रेस और यु.पी.ए सरकार ने इस महंगाई के दौर मैं गुजर रहीं आम आदमी की जखम पर मलम की बदले नमक छिड़ दी । कल अर्थ मंत्री प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा मैं २०१०-११ के विक्तिया बजट पेश किये । इस बार सरकार ने आम आदमी की कमर तोड़ने की पूरा बंदोबस्त कर लिया हैं। प्रणब दा ने आपनी बजट मैं, पेट्रोल, डीजल, सिगारेट, टी.वी, एयर कांडिसन, कार, सीमेंट, तमाखू के साथ साथ सोना और चांदी भी माहंगी हुई। दुसरे तरफ, प्रणब दा ने मोबाईल, मेडिकल से जुड़े सामान, दवाईया, सी.एफ.एल ल्यांप, सेट टाप बॉक्स, कोम्पाक्ट डिस्क, खेलना और किताब सस्ती हुई। इस वार की कुल राशी ११,०८,७४९ कोरोड़ रुपये की हैं , जिस मैं राष्ट्रीय कृषी विकाश योजना के लिए ३०० कोरोड़ों रुपए, किशानों को २% कर्ज से छुट, १०० कोरोड़ों की एक महिला फंड की योजना, इंदिरा आवास योजना मैं अर्थ राशी बढ़ाना, राष्ट्रीय राजपथ के लिए १३% बोधातोरी, कृषी के लिए चार सूत्री योजना बनाना, सिक्ख्या, स्वासथ्य के लिए अर्थ राशी बढ़ाना आदी प्रमुख हैं । इस के अलावा, राष्ट्रमंडल खेल के लिए खेल प्राशीकरण और इंडियन ओलोम्पिक आसोसिअसोन के साथ डिजिटल फोर्मात मैं खेल की प्रशारण के लिए दूरदर्शन को अछि खाशी पैसा मुहया किया गया हैं।
फिर भी आम आदमी की बजट मैं, आम आदमी की तो कमर तोड़ दी हैं । अब पेट्रोल की कीमत बढ़ा दी, जाहिर सी बात हैं , हर चीज बढ़ेगी । मध्यवित परिवार के लोग ये ही कहा रहे हैं- सरकार ने तो हामारे मुंह से निवाले ही छीन लिया । आम आदमी की मसीहा बोलने वाले कांग्रेस और यु.पि.ये सरकार ने आम आदमी की जखम के वदले नमक लगा दी । दादा की इस वजत से किसान केसे बच सकते हैं । पहेले से महंगाई से जुज रहे गरीव किसानों को तो यूरिया के कीमत बढ़ा दी और अब तेल की कीमत । किसानों की तो हालत ही पतला होगया हैं। अब व दोहरे मार से झेल रहे हैं । खैर, इस साल तो सरकार ने तो लोगों की हालत आ.सी.यु की मरीज जेसे बना दिया हैं । हाँ, अगले साल सरकार कुछ कदम जरुर उठा सकती हैं । क्यों की, २०१२ मैं आम चुनाव हैं , इसलिए सरकार की पिटारे से लाभलुभाने वाले योजनाये आसकते हैं । क्यों की , ये आम आदमी हैं , व थोडा सा मीठी बातों से सारे तक्लिप भूल जाते हैं । ये अलग बात हैं , ये मलम लगाने वालें, सभी वादें अमल कभी नहीं होती। खैर, क्या करे, लोंगों की मन से जब तक ये आम आदमी का मानसीकता नहीं उठेगी, तब तक आप कुछ नहीं कर सकते । नहीं तो ये ही हामारे नसीव बन जायेगा और कुछ नहीं .....

आमार रेलवे.....

आमार रेलवे की ये शीर्षक को पढ़ कर , पाठक यदि असमंजस मैं मत रहिये, जी हाँ , प्रधानमंत्री डॉ .मनमोहन सिंह की विभागों का बाँटने के वाद , पश्चिम बंगाल की त्रुलमूल कांग्रेस की नेत्री ममता वानार्जी को रेल विभाग मिलने के बाद , ये ही लग रा हें । ममता दीदी , इस साल संसद पेस किये गए रेलवे बजट मैं ज्यादातर पर्योजोनाएं सिर्फ और सिर्फ प.बंगाल के लिए ही थाममता दीदी की २०११ मै , पश्चिम बंगाल मै होने वाले विधान सभा चुनाब के लिए , एक पालिटिकल स्टांड हें । परंतु यहाँ पर ये सवाल उठता हैं , रेल विभाग जेसे महत्वपूर्ण विभाग की आन्चालिककरण करना क्या सही हें ? फ़िर से, राजनैतिक फाईदा के लिए, रेल विभाग का राजनैतिककरण तो नहीं हो रा हैं ? ''आमार बांग्ला '' के नाम पर ममता वानार्जी रेल विभाग को पुरे तरह से , पश्चिम बंगाल के अंदर , आपनी राजनैतिक फाईदा के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं । ये सभी का जबाब जो भी हो , सच ये ही हैं , आज की वक्त मैं, आंचलिकतावाद, अब सरकारी विभाग को भी चपेट मै ले चुका हैं । इस मैं कोई दोहराई नहीं , ममता वानार्जी के वाद , अगले रेल मंत्री नई दिल्ली के बदले अपनी राज्य के किसी रेल जोंन मै काम काज करेंगे । तो, दिल्ली मैं रेल विभाग का हेड आफिस रहेने का कोई मतलब ही नहीं हैं । आज ये आन्चालिक्तावाद भयंकर रूप ले चुका हैं । महाराष्ट्र मै उत्तर भारतीय के खिलाप विश के विज बुना जा रहा हें , तामिलनाडू मैं हिन्दी भाषी लोगो के खिलाप अपनी जहर उगालते हें । यदि , आज तत्कालीन उप- प्रधानमन्त्री वलभ भाई पटेल होते , उनको जरुर ठेस पहंचता । कियों की, व बिखरते भारत को एक करने के मैं उनका योगदान, आज ब्यर्थ हो गया । आज की नेता , अपनी स्वार्थ के लिए , ये आन्चिलिक्बाद का जहर , जो लोग के मन मै फेला कर फाईदा उठाते हें । हम , उनके ताल मै ताल मिला कर हाँ भरते हें । भारत मै , संभिधान को लागू करने के वक्त कहा गया था, भारत अनेक धर्म , अनेक भाषा और अनेक जाती के बाबजूद भारत एक हें । फ़िर , आज हमारे विच आपसी द्वेष कियों ? आजादी से पहले , कभी एसा हुआ था, ना आजादी के वाद कभी हुआ हें । ये कुछ साल की अन्दर , हमारे अन्दर दुसरे की प्रती इतने नफरत कियों ?
आज ममता वानार्जी की पहल पर भले ही कोई विरोध ना करे , यदि कल दुसरे नेता एसे करते , निश्चित रूप से विरोध होगा । नेताओं को अपनी मौजूदा फाईदा से जुड़े कोई बड़े कदम उठाने से पहेले , इस का भविष्य परिणाम के वारे मैं जरुर सोचना चाहिए । इसलिए , ममता वानार्जी को ''भारतीय रेल'' को , अपनी राजनैतिक फाईदा के लिए , ''बांगला रेल '' की सकल देना ठीक नही हें

Friday, February 26, 2010

ममता सुपरफर्स्ट एक्सप्रेस, ( भाया- बंगाल की सी.एम्. कुर्सी )

रेल मंत्री ममता वानार्जी ने २०११ वर्ष के लिए लोकसभा मैं रेल बजट पेश की। जेसे पहेले से ही कयास लगाया जा रहा था, वेसे ही रही ममता दीदी की रेल बजट पेश की। २०११ मैं प.बंगाल मैं होने वाले विधान सभा चुनाव को देखते हुए, अपनी बजट मैं बंगाल के लिए अपनी ममता वौर्छार कीजादातर परयोजनाए बंगाल के लिए था । अपनी चुनावी बजट मैं , दीदी ने यात्री दर मैं कोई वाधोतोरी नहीं की और इ.टिकट मैं लगने वाले सरप्लस चार्ज ४० रुपए से २० रुपए घटा दिए । इस के साथ ही, ममता दीदी ने साफ़ करदिया रेलवे का निजीकरण नहीं होगी और साथ ही एलान की - दिल्ली मैं होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों मैं भारतीय रेल अग्रणी साझीदार और खेल के द्वाराण विश्वश रेल गाड़ियों को चला जायेगी। ममता वानार्जी ने इस वार सुरख्या की ख़ास द्यान रखी। देश के सभी बड़े सहारों मैं महिला स्पेशल चलाने की घोषणा की । साथ ही, अब पूर्व सैनिकों को आर.पी.ऍफ़ मैं भर्ती किया जाएगा। इसके अलावा, रेल मंत्री की घोषणाओं मैं - आम लोगों के सौहलियत के लिए, अब रेलवे की परिखियाए इंग्लिश-हिंदी के साथ साथ उर्धू और सभी आंचलिक भाषाओँ मैं होना, कुलियों और वेंडोर के लिए स्वास्थ सेवा, शौचालय को और आधुनिक किये जायेंगे, मोबाईल वेंन मैं टिकट चालु करना, विश्वविद्यालय मैं टिकट काउंटर खोलना, भर्ती नीति और कैटरिंग नीति मैं बदलाब, जमीन अधिकरण के बदले नौकरी, निवेशकों को रेलवे मैं निवेश करने का मौका देना, पीपीपी से छ सहोरों मैं पानी के प्लांट की स्थापना आदी प्रमुख थी। पिछले साल की तरह, इस साल भी रेल मंत्री ने पुरे देश मैं ५४ नई ट्रेन और मुंबई के लिए १०१ नई लोकल ट्रेन चलाने की घोषणा की। साथ ही, उह्नोने २०१५ तक पांच हजार नई रेल लाइन बिछाना और बांग्लादेश के साथ लिंक रेल की वारे मैं कही । इस के अलावा, खाद्य पदार्थ और किरोसिन की धुलाई मैं सब्सीडी, प्रेस संवादाताओं के बचों को ट्रेन की सफ़र मैं छुट और संसाधन जुटाने के लिए नए रास्ते तलाशने की भी रेल मंत्री ने सदन मैं कही। मौते दौर पर, ममता वानार्जी ने, अपनी रेल वाजत मैं चुनावी रंग देने की पुरजोर कोशिश की। ममता दीदी की ये चुनावी एक्सप्रेस उनको चुनाव जिताने मैं कितना मदतगार होगी, व तो आनेवाला वक्त बताएगा। परन्तु, ये जरुर कहा जा सकता हैं, आहिस्ता आहिस्ता रेलवे के जरिये सिर्फ एक खेत्रिय इलाका के लिए पूरा युपयोग होरा हैं। हमें ये कभी भूलना नही चाहिए, रेलवे किसी एक खेत्रिय जगह की नही वाल्की ये सारा देश की हैं ।

Thursday, February 25, 2010

सचिन तुझे सलाम.....

सचिन रमेश तेंदुलकर का नाम क्रिकेट की जगत मैं भगवान् की दर्जा हैं और व भगवान् कल गवालियर मैं साबित करदिया, उनको कियों भगवान् कहा जाता हैं। सचिन ने कल गवालियर मैं हुए दुसरे एकदिवसीय मैं द.अफ्रिका के विरुद्ध अपनी जीवन के सर्बश्रेष्ठ पारी खेलते हुए, एकदिवसीय मैच मैं किसी वक्तिगत सबसे जादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बनगए। सचिन ने १४७ गेंद और २५ चौके, छक्के के मदत से २०० रन बना डाले। रेकड़ के रेकड़ की सीडियों के ऊपर चढ़ने वाले सचिन तेंदुलकर जब ये कीर्तिमान मान स्थापित किया, तब सारा देश की क्रिकेट प्रेमी ख़ुशी से झूम पड़े और पटाके, आतास्वादी से अपनी खुसी जाहिर की। सायद, सचिन की रेकड़ किसी देश के लिए उतना गर्व होता हैं। अपनी क्रिकेट मैं अपनी २१ साल बिता चुके सचिन ने, ग्वालियर मैं जिस तरीके से द.अफ्रिका के हर बोलर के हर गेंद को जिस तरीके से बखिया उखाड़ी, इस से देख कर कयास लगाना, वेबकूफी होगा की, सचिन की रन बनाने की भूखा पेट २१ साल के बाद भी थम गया। सचिन ने इस पारी से ना सिर्फ युवा खिलाड़ियों के लिए एक नया मिसाल पेस किया, व ये भी प्रमाणित किया, आखिर उनको कियों मास्टर ब्लास्टर कहा जाता हैं। हमेसा, खुद को एक निर्वादित और विनम्रता की छवि मैं रखने वाले सचिन ने, अपनी अपनी जीवन की इस बेहतरीन पारी को देशवासियों को समर्पित किया, जिह्नोने पिछले २० वर्षों से ढेर सारा प्यार और समर्थन दिया हैं । सचिन की इस पारी को जितनी तारीफ़ किया जाये, उतनी ही कम होगी। अपनी गोल को खुद तय करने वालें सचिन तेंदुलकर को हमारा सलाम और हम भगवान् के सरन मैं ये ही दुआ मांगते हैं- सचिन तुम जियो हजारों साल।

Friday, February 19, 2010

सस्ती पब्लिसिटी

किसी ने सही कहा हैं- '' यदी किसी कलाकार और राजनेताओं को अपनी किसी चीज का प्रोमोशन हो तो, खुद को
इलट्रोनीक्स मीडिया मैं सुर्खिया मैं रखनी होगी, प्रोमोशन अपने आप हो जायेगी ''। सायद, आजकल ये हट्कंदा कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल हो रहा हैं। इस विषय को आप सस्ती पबलिसिटी कहा सकते हैं। इस सस्ती पब्लिसिटी का सबसे बड़ा माद्यम इलट्रोनीक्स मीडिया हैं । राजनेताओं चुनाव के वक्त और फिल्म स्टार आपनी फिल्म के रिलीज के वक्त, कुछ ना कुछ अपनी बयानों से सुर्ख़ियों मैं रहते हैं। हिंदी इलट्रोनीक्स मीडिया तो, इन बयानों को ब्रेकिंग न्यूज बना देती हैं।
कुछ दिनों से मुम्बई मैं, अभिनेता शाहरुख खान और शिवसेना पार्टी के विच घमासान युद्ध जारी हैं। पिछले शुक्रवार को शिवसेना की तमाम विरोध जताने बावजुद भी शाहरुख खान की फिल्म '' माई नेम इज खान '' को सफलतापूर्वक रीलिज हुई। लेकिन, इस फिल्म के लिए किंग खान को प्रोमोशन के लिए ज्यादा मसतकत नहीं करनी पड़ी। शिवसेना की भारी विरोध चलते, पिछले एक हप्तो से, यह फिल्म रीलिज होने से पहले ही सुर्ख़ियों मैं बनी हुई थी । जाहिर सी बात हैं, फिल्म प्रेमियों को फिल्म को फिल्म को देखने की इछुकता बढना लाजमी हैं। यहाँ पर, फिल्म को बैठे बैठे प्रोमोशन मिल गया। वेसे ही पब्लिसिटी का किसा ''थ्री इडियट'' फिल्म के रीलिज होने के द्वारान, इस फिल्म के लेखक चेतन भगत और फिल्म के प्रोयजक विदु विनोद चोपड़ा के विच हुई विवाद मैं, चेतन भगत को अच्छी पब्लिसिटी मिली। यह बात सच हैं कि, शिवसेना कि धमकी और गुंडागर्दी नाजाएज हैं, और
शाहरुख खान ने एसा कोई गलत बयान नही दिया, जिस से आप उनको रास्त्र विरोधी कह सकते हैं। वेसे शिवसेना ने मराठी मानुस को खुस करने के लिए जो मुहिम छेड़ी थी, उसमें व काफी हद तक सफल भी हुआ। वेसे, सस्ती पब्लिसिटी हासिल करने मैं, राजनेताओं सबसे आगे रहते हैं। देखिये ना, राहुल गांधी ने अपनी मुम्बई यात्रा द्वारान, लोगों को खुद को आम बताने की भरपूर कोशिश कि । राहुल गांधी ने खुद को आम बताने के लिए, लोकल ट्रेन मैं लोगों के साथ स्वर हुए, टिकेट काउंटर पर लोगों के साथ खड़े होकर टिकेट खारिदे और बताने कि पुरे कोशिश कि, मैं भी आप के तरह आम हूँ। यदि, राहुल गाँधी, खुद को आम मानते हैं तो लोगों को दिखाने कि किया जरुरत हैं ? परंतु, उनके मुंबई यात्रा के द्वारान, जिस तरिके कि सुरख्या किया गया था, एसा सुरक्या सायद प्रधानमंत्री जी के लिए भी नही होता होगा । एसे सुरख्या के अन्दर रह कर खुद को आम बताने से किया फाईदा ? खैर, राहुल गांधी का यह तो मिशन २०१२ के लिए तयारी हैं । राहुल गांधी ने अपनी मुम्बई यात्रा के द्वारान, अच्छी खासी पब्लिसिटी बौतरे। नेताओं को पता हैं- दूर की सोचना हैं तो तयारी अब से करलो और खुद को हमेसा सुर्ख़ियों मैं रखो । इस पब्लिसिटी पाने के लिए राजनेता किसी हद तक गिर सकते हैं। कुछ दिन पहले, कांग्रेस कि महासचिव दिगविजय सिंह ने अपनी आजमगढ़ के दौरे मैं, दिल्ली के वाटला हॉउस एन्काउंतर के फर्जी बताया और इसके न्यायिक जाँच कराने कि मांग कि । व सिधे सिधे इस एन्काउंतर मैं सहीद हुए, इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा कि सहादाद ऊपर सवाल उठाया । देश के लिए, इस से और किया दुर्भाग्य हो सकता हैं, इस देश कि एक रास्ट्रीय दल कि महासचिव का इस तरिके कि बयान सामने आया हैं और व दिल्ली आते आते अपनी बयान से मुकरगए।
ये फिल्म स्टार और राजनेताओं कि एसे बहत किसा आपको मिल जायेंगे, जो हमेसा ही सुर्ख़ियों से बने रहना पसंद करते हैं। इस विषय के लिए सिर्फ और सिर्फ हिंदी इलट्रोनीक्स मीडिया जिमेदार हैं। अपनी निजी काम हेतु, फिल्म स्टार और राजनेताओं इलट्रोनीक्स मीडिया मीडिया को खूब इस्तेमाल करते हैं । इलट्रोनीक्स मीडिया अपनी टी.आर.पी बढ़ने कि चकर मैं, इन सभी को अच्छी खासी पब्लिसिटी दिल्वादेते हैं। अतः इलट्रोनीक्स मीडिया को सस्ती पब्लिसिटी से दूर रहना चाहिए। परंतु, सवाल उठती हैं - क्या सस्ती पब्लिसिटी बयान देना उचित हैं, जिस से लोगों कि भावनाओं को आहात पहंचे ? क्या लोगों को भी बिना समझे नेताओं कि बातो मैं प्रभावित होना चाहिए ? ये लोकतंत्र हैं, सायद ये सवालों का जबाब भी लोगों को ही देना हैं ।

Saturday, February 6, 2010

विभाजन की राजनीति और तेलंगाना

आज आंध्र प्रदेश मैं तेलंगाना को लेकर वहां की राजनीति गरमाई हुई हैंपहले अलग राज्य की समर्थन मैं ,अब विरुद्ध मैं विरोध प्रदर्शन और सामूहिक बंद ने, लोगों की मुसीबत बढ़ा दी हैंखैर, आज की तेलंगना मुधा, जो स्थानीय आधार पर दिया जा रहा हैं, एक तरफ जाएज हैं और इसमें कोई नयापन भी नही हैंइस के लिए भारत की तात्कालिन इतिहास के ऊपर नज़र डालना होगाआजादी के वाद से ही, अनेक राजनेताओं ने स्थानीय भाषा के आधार पर अलग राज्य बनाने की कही, जो बाद मैं सफल भी हुआवैसे , आजादी से पहले सन १९३६ मैं, ही ओडिशा भाषा के आधार पर स्वतंत्र राज्य बन चका थाआज अनेक राज्य स्थानीय तथा खेत्रीय के आधार पर ही बतान हुआ हैंतब स्थानीय राजनेताओं का तर्क था, स्थानीय वा भाषा के आधार पर राज्य बाँटने से स्थानीयता की पहचान बरकार रहेगी और विकाश मैं अछा मदत मिलेगीपरंतु, आज वक्त बदल चुका हैं और बदल चुका हैं , राजनीति की परिभाषा
समय के साथ ही , देश मैं फ्हिर अलग राज्यों के मांग तेजी से पकड़ रही हैंबिहार को अलग करके झारखंड,
मध्य प्रदेश अलग करके छत्तिसगढ़ और उत्तर प्रदेश को अलग करके उत्तराखंड बनाने के लिए बहत पहले से मांग हो रहा थाआखिर, तत्त्कालिन वाजपयी सरकार ने नयी राज्य के लिए अमली जामा पहना दियाउसके बाद से ही, आंध्र प्रदेश को अलग करके तेलंगना, महाराष्ट्र को अलग करके विधार्भ और .बंगाल को अलग करके गोरखालैंड की मांग उठीझारखंड बनाने के लिए शिबुसोरेन की झारखंड मुक्ती मोर्चा काफी दिनों से मांग कर रही थीवेसें ही , टी.चंद्र शेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति बना कर , हैदराबाद मैं आंदोलन चला रहे थेवेसे तर्क यह दिया जा रहा हैं, इस से विकास की धारा आगे बढ़ेगीयह तर्क से झारखंड की मौजुदा हालत, इस तर्क को विरोधाभास कर रही हैं
दश करोड़ से ऊपर आवादि वाले इस देश मैं आज गरीवी का जो चहेरा मिल रहा हैं, वाकई विकास की हकिकत को ज़ाहिर करती हैंआजादी के बाद, इसी विकास के आधार पर विभाजित क्या गया थापरिणाम स्वरुप, देश मैं किसान आत्महत्या, गरिवी, के संख्या मैं दिन पे दिन बढ़त्तोरी और नक्सलवाद की रूप मैं उभरा हैंनक्सलवाद भी, भारतीय आर्थिक स्थिती का एक कड़वा सच हैंयह, सभी jअन्ते हैं , एक किसान विद्रोह से, आज भयंकर नक्सल के रूप मैं उभरा हैंकिया ये विकास की परिभाषा हैं ? क्या विकास केवल अलग तथा पृथक राज्य, विकास की परिभाषा हैं , चूँकि यह कहना गलत नहीं होगा, झारखंड और बिहार की मौजुदा स्थिती क्या हैं ? ओडिशा, छतीसगढ़ और तटीय आंध्र प्रदेश की स्थिति किया हैं ? जाहिर सी बात हैं , यह सारे सवालों की जबाब, हमारे नेताओं के पास नहीं हैं
दुनिया भर मैं, भारत एक विभिन्न धर्म, भाषा, और जाति होने के बावजूद, एक हैंयह एक राष्ट्र की जीता जागता उदाहरण के रूप मैं मिसाल रहा हैंपरंतु, इन सब के आधार पर विकास होना असंभब नही, ये नामुकिन हैं
क्योंकि, हिस्से बटने से कभी विकास बढ़ता नही हैं, वल्कि विकास की धारा आगे वाढती हैंउदाहरण स्वरुप, मंडल कमीशन को लागु कर के रिजर्वेसन ब्यवस्था कि गईपरंतु, आज भी उन आदिवासियों को इसका पूर्ण सफलता नहीं मिल रहा हैं , जो इसका हकदार हैंहमारे नेता कहते हैं , बटने से विकास निरंतर होता हैं , आज यह आलम क्यों ? कोई सक नहीं, इस सारे सवाल की जवाब भी, हमारे नेताओं के पास नहीं हैं
अपनी स्वार्थ और महत्वकंख्या को पूरा करने हेतु , लोगों को वक्रा बना देना, यह कहाँ तक सही हैं ? वैसे, तेलंगना मुद्दे पर चंद्र शेखर राव, बहुत दिन से चुप चाप बैठे थे, पिछले यु.पी. मंत्री मंडल का हिस्सा भी बने थेपरंतु, हाल ही मैं, समाप्त हुआ विधान सभा और लोक सभा चुनाव आशानुरूप सफलता मिलने के कारण, उनको अलग तेलंगना राज्य की ट्राम कार्ड खेलना पडा और उस मैं भी यह सफलता हुएपरंतु, रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश के विधायक और सांसद के विरोध प्रदर्शन हेतु, अब केंद्र और मुख्यमंत्री रोसैया की मुसीबत बढ़ा दिया हैं, और कोई भी हैदरावाद के तेलंगना की हिस्से मैं जाने के लिए तैयार नही हैंक्योंकि, यदि तेलंगना राज्य बनता हैं, हैदराबाद भी तेलंगना की हिस्से मैं चला जाएगाइसलिए , हैदराबाद को अब की चंडीगड़ की तरह बनाने की जारी हैं, फिलहाल इस के लिए कोई तैयार नहीं हैंपरंतु, यदी भविस्य मैं तेलंगना राज्य बनता हैं, हैदरावाद चार राज्यों का राजधानी बनेगाजी हाँ, अलग तेलंगना राज्य गठन के बाद कभी भी रायलसीमा और तटीय आंध्र एक साथ नही रह पाएंगेसाथ ही , निश्चित रूप से हैदराबाद, चंडीगढ़ की तरह एक केंद्र शाशित प्रदेश बनेगाअब हुआ ना, हैदरावाद चार राज्यों का राजधानी !
खैर, बात जो भी हो, केंद्र और आंचलिक दल, कोई भी फैसला लोगों की मत को जेहन मैं रख कर नहीं लेरहे हैंसबको, अपनी पार्टी और खुद की राजनीति भविस्य की फिकर हैंयह देश की भाग्य की विदवना हैं, देश की जनता, नेताओं को होता हैंफिर भी, हम आशा करते हैं, कुछ दिन पहले बने, शांती सयुंक्त कमिति, एसा ठोस पहल करे, जिस से यह अलग राज्य की चिंगारी, आने वाले मैं दुवारा ना bha