Friday, November 27, 2009













''हे मेरे वतन के लोगों , जरा याद करो कुरुवानी'' ..... लता मंगेशकर जी की स्वर से आवाज जुनजती, ये गीत सुन कर हर भारतीयों की धड़कन रुक जाती हें । कियों की , ये गीत उन सहीद जवानों को स्रधान्जली हें, जो ख़ुद की जान की फिक्र नही करते हुए , देश की रख्या के लिए कुर्वान करते हें । आज से ठीक एक साल पहेले, २६ नवम्बर को आतंकियों ने देश की वाणिज्य सहर मुंबई पर अचानक हमला कर दिया । दर्शोदों ने मुंबई के ताज होटल , ओबरै होटल , नारिनाम हाउस, वि.टी.स्टेसन और सी.एस.टी.सी स्टेसन पर हमला कर अंधा धुन गोली चलाई । इस मैं अनेक निहत होने के साथ साथ अनेक गंभीर रूप से घायल भी हुए । इस द्वारान , अनेक लोग अपनी जान को दाँव पर लगा कर दुसरे की जान बचाई । परन्तु , इन आतंकियों हमला मैं , अपनी वीर पुत्रों को भी खोया । हमले मैं , मेजर .उनी कृष्णन , मुंबई ए.टी.एस की चीफ - हेमंत कलकारे, जोइंट पालिश कमिशनर-अशोक आम्पते और एन्कोउन्टर स्पेसिअलिस्ट विजय सालेस्कर सहीद हुए । वाकई, इस आतंकियों घटना दर्दनाक और भयानक हें। हम एक हें और हम साथ साथ हें , यह हमारे देश की ताकत हें और कोई हमारे अस्मियता के ऊपर कितना भी आंच आने की कोशिश करे , वे कभी भी सफल नही होंगे । जब तक, हमारे वीर जवान देश के लिए सुरख्या कवच हें , जब तक हम जाती, वर्ण , धर्म और भाषा जेसे अनेक विभेदाओं के विच एक हें , तब तक कोई भी हमें कुछ कर नही कर सकता ।

Saturday, November 7, 2009

आफत मैं हें देश की भी.भी.आई.पि ट्रेन.....











२७ ओक्टोबर २००९ का दिन भारतीय रेलवे के लिए एक काला दिन था और ट्रेनों मैं सफर करने वाले यात्रियों के लिए एक दर्दनाक और दुखद दिन था । कियों की उस दिन , दोहपर मैं , नक्सलियों के द्वारा भुबनेश्वर से दिलली के लिए जाने रही २४४३ ए भुबनेश्वर राजधानी ( भाया- टाटा नगर जं ) समर स्पेशल को बनषताला मैं अगवा करलिया गया था । इस स्टेसन झारग्राम स्टेसन से १० किलोमीटर के दुरी पर हें । झारग्राम स्टेसन, खड़गपुर जं - टाटा नगर जं के विच मैं पड़ता हें । इस ट्रेन मैं लगभग १२०० यात्री सवार थे । जब ट्रेन बनषताला स्टेसन के आउट डोर सिग्नल पारी कर रहा था , तब किसी ने लाल झंडे देखा कर ट्रेन को रोक दी । चालक ने भी , ऐमरजेंसी ब्रेक लगा दी । ट्रेन रोकते ही , छुपे हुए , ६०० नक्सलियों ने ट्रेन को घेर लिया ट्रेन के चालक को अपने कब्जे मैं ले लिया और सभी यात्रीयों को तत्काल उतारने के लिए बोल कर, ट्रेन की विजली कनेक्सन काट दी । उसके वाद , नक्सलियों ने ट्रेन की फर्स्ट एसी ( भी .भी .आई .पी. कोच ) मैं तोड़ फोड़ किया । नक्सलियों ने ट्रेन वगियों के ऊपर उनके नेता छ्त्रधर महतो को तत्काल जेल से रिहा करने की मांग के वारे मैं लिखा । सबसे पहले तो, नक्सलियों ने ट्रेन के दोनों चालक आनन्द राव और के.स .राव को अपने कब्जे मैं लेकर, उन दोनों के माद्यम से रेलवे के वरिस्थ अधीकारियों से बातचीत किया । उसके बाद , प.बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भटाचार्य और बाद मैं , रेल मंत्री ममता वानार्जी से बात करके , उनके नेता छ्त्रधर महतो को तुंरत छोड़ने की मांग किया । स्याम होते ही और सी.आर.ऍफ़ वल आने से पहेले , नक्सलियों ने ट्रेन और चालक को मुक्त कर के घटना स्थल से भाग निकलने मैं कामियाब रहे । उसके वाद , सम्पूर्ण रूप से जाँच परताल करके ट्रेन को रात करीब ८ बजे सी.आर.ऍफ़ की निगरानी मैं दिल्ली के लिए रवाना किया गया । वेसे, नक्सलियों ने यात्रीयों को कोई नुक्सान नही पहंचाया ।
परन्तु , भुबनेश्वर राजधानी को दिन दाहादे अगवा करना, यह बात ट्रेन मैं सवारी करने वालें यात्री कितना सुरखित वह पता चलता हें । यह आलम राजधानी जेसे भी.भी.आई.पी ट्रेन का हाल हें , आप सोचिये दुसरे आम ट्रेनों मैं सुरख्या का किया इंतजाम हुआ होगा । भुबनेश्वर राजधानी को हाईजेक करना पुरा प्री-प्लान था। कियों की , नक्सलियों ने ट्रेन को आउट डोर सिग्नाल मैं रोक देना और निर्भय से ट्रेन को घेर लेना । कियों की , नक्सलियों को यह भी पता था , उस दिन ट्रेन मैं कोई सुरख्या कर्मी मजूद ही नही थे और नक्सलियों के नेता संतोष पात्रा ने मीडिया को भुबनेश्वर राजधानी की अगवा के वारे मै बताना आदी सारे बात साफ़ इंगित करता हें , नक्सलियों की यह पूरा प्री-प्लान था और उनको ट्रेन की वारे मैं पल पल की ख़बर पता था । रेलवे और सरकार जितने भी दाबे करे, हर वक्त नक्सलियों ने सुरख्या की पोल खुलते हें । जब करवाई किया जाता हें , तब तक नक्सलियों के द्वारा घटना को अंजाम दिया जुका होता हें । वेसे , भुबनेश्वर राजधानी को अपहरण करना , नक्सलियों की एक पब्लिसिटी स्टांड भी था ।
सरकार और नक्सलियों के विच आम जनता फस जाते हें और आखिर उनोको ही परीसान झेलना पड़ता हें । हर घटना के बाद , कुछ जोरदार कारवाई किया जाता हें , उसके बाद वही पुरानी कहानी । आखिर, केन्द्र और राज्यों सरकार क्यों कड़े कदम नही उठाते हें ? क्यों हम हर वक्त लाचार हो जाते हें ? मंत्री , विधायक , एम्.पी , नेता तो जेड़ सीक्युरिटी के अन्दर रहेते हें , उनको पता नही लोग रोज किस तरीके से समस्याओं को झेलते हें । दिमाग हर पल डर बेठता हें , आज कुछ ना हो जाए । इधर केन्द्र ने राज्यों को और राज्यों ने केन्द्र को आपसे कीचड़ फेंक कर अपने जिमीदारी से पला झाद्लेते हें । इधर , सी .आर .पी. असली नक्सलियों को पकड़ने बदले निर्दोस आदिवासियों को पकड़ लेते हें , जिस का परिणाम सबको भुगतना पड़ता हें । इस बात को नक्सलियों के द्वारा आदिवासियों को सरकार के खिलाप मोर्चे मैं सामिल कर के फाईदा उठाते हें । जाहिर हे, आदिवासी नक्सलियों के साथ ही देंगे । साथ ही साथ , नक्सलियों के द्वारा लोगो को हर चीज मुहया करते हें , सरकार की मदत से मायूस आदिवासी नक्सलियों के साथ देते हें । राज्यों के पोलिस का बात ही मत कीजिये । कियों की , सारे के सारे भ्रस्ताचार मैं पि.च .दी. हें । लोग को इस तरीके से लुटते हें , जिस से लोग पोलिस से परिसान होकर नक्सलियों के साथ देते हें । हम नक्सलियों को कुसूरवार ठरना जायज हें, परन्तु उस से पहेले , ख़ुद देखिये हम कितने पानी मैं हें ? हमारे सीस्टम की भ्रस्त चीज को नक्सलियों ने उनके लिए इस्तमाल करते हें । बात यह हुआ , खुट तो हमारे विच हें । यदी , तत्काल समय मैं , पोलिस भ्रस्त ना होता , ना सरकार चैन की नींद सोता , तब आज यही नक्सलियों की भयानक परिणाम देखना ना पड़ता । आखिर , एक ग़लती से ही आनेवाले वक्त मै भारी पड़ता हें । अभी भी कुछ बदला नही , यदी सरकार चाहेगी हालत सुधर सकते हें । परन्तु, मुझे भी पता हें और आप को भी पता हें , यह भारत हें जी , यहाँ के नेता ,मंत्री, सरकार और प्रशासन कभी अपनी गलतिया मानते नही , भले ही लोगों की जाने जाए । उनका किया जाता हे भाई, वह तो चबिसो घंटा जेड़ सुरक्या अन्दर रहेते हें । उनका थोड़े ही कुछ होने वाले हें । जो भी , यह बात साफ़ हें , जब तक नेता , मंत्री , सरकार और प्रशासन भ्रस्ताचार से मुक्त नही होंगे , जब तक यह सारे आपनी दईत्व को ठीक से नही निभाएंगे , तब तक नक्सलवादियों, माओवादियों के साथ साथ आतंकवादियों को भी ख़त्म कर नही सकते .....

Friday, November 6, 2009

पंजे का परचम......

आम चुनाव मैं जीत की खुशी का खुमार अभी कम नही हुआ था कि तिन राज्यों मैं हुए विधानसभा चुनाव मैं कांग्रेस का विजय- ध्वजा एक वार फ़िर लहराया । लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फ़िर अरुणाचल प्रदेश , हरियाणा और महाराष्ट्र मैं कांग्रस के पख्य मैं इस कदर झूमकर बयार बही कि मतदाताओं ने तिनं पूर्ब मुख्यमंत्रियों को ही सूबे की सिंहासन पर पुनः स्थापित कर दिया । अरुणाचल प्रदेश मैं दोरजी खांडू, हरियाणा मैं भूपेंद्र सिंह हुडा, महारष्ट्र मैं अशोक चह्वाण के सिर पर फ़िर ताज बंध गया ।
इन चुनाव के परिणाम जो भी हो , एक वार फ़िर साबित होगया, विभिन्न घटना क्रम और आरोप-प्रत्यारोप के बाबजूद , जनता फिलहाल तो हाथ के साथ नज़र आरहा हें । अरुणाचल प्रदेश मैं चीन की चिकचिक का मुहं तोड़ जबाब देते हुए , चौथी वार कांग्रस के दोरजी खांडू को सता की चाबी थमाई । जब की महाराष्ट्र मैं भोट प्रतिसत कम होने की बाबजूद, जनता ने कांग्रस -रांकपा गठवधन को बहुमत देने साथ ही , कांग्रस के अशोक चह्वाण को फ़िर से दुवारा सता की मलाई चखाया । वेसे ही , हरियाणा मैं, कांग्रस को पिछले चुनाव मैं भले ही कम सीटें मिले , परन्तु कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुडा ने फ़िर से गडी पाने मैं कामियाब रहे । हरियाणा मैं यह पहली वार हुआ , किसी वक्ती को लगातार दूसरी वार सत्ता नशीब हुआ । इन तिन विधानसभा चुनाव मैं, कांग्रस ने लोकसभा चुनाव मैं मिली जित को दोहराया, जब की भाजपा को फ़िर हार की मुहं खाना पडा । इन विधानसभा चुनाव मैं , भाजपा को मिली हार के वाद, फ़िर से पार्टी के अन्दर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर घमासान तेज होगया हें । पहली से ही , राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तरफ से भाजपा के ऊपर आडवानी और राजनाथ सिंह को हटाने के लिए दवाब हें । अब मिली हार से , फ़िर पार्टी के अन्दर कुर्सी को लेकर घमासान होना लाजमी हें ।
तिन विधानसभा चुनाव मैं एक बात गौर करनेवाला था - छोटे दोलों की सीट दर्ज करना । कियों की , महाराष्ट्र मैं , राज ठाकरे की नव निर्माण सेना (मनसे) ने १३ सीटों पर जित दर्ज की । जब कि , मनसे ने शिवसेना -भाजपा गठवधन को ४० सीटों से अधिक सिट पर नुक्सान पहंचाया । जिसका फाईदा सीधे
कांग्रस-रांकपा गठवधन को हुआ । वेसे ही , अरुणाचल प्रदेश मैं , रेल मंत्री ममता वानार्जी की त्रूलमूल कांग्रस पार्टी ने चुनाव मैं मैं कूद कर ५ सीटों पर वाजी मार ली । सायद यह पहला मौका हें , ममता वानार्जी की पार्टी को अपनी राज्य प.बंगाल के वाहर , किसी राज्यों मैं शानदार जित मिला । ये बात, कांग्रेस को थोड़ा सोचना चाहिए ।
चुनाव परिणाम जो भी हो , यह चुनाव कांग्रस की '' विजन फॉर राहुल ताजपोशी- २०१२ '' के लिए अच्छी ख़बर हें । इन दिनों समय और भाग्य कांग्रस के साथ हेतु , पिछ्ले लोकसभा चुनाव और मौजूदा संपर्ण हुए विधानसभा चुनाव मैं सबसे ज्यादा कांग्रेस को फाईदा मिला । इसलिए , कांग्रसियों ने फ़िर आश लगा कर बेठें हें , आगे फ़िर कांगेस की पुरानी '' गांधी-गोल्डन पीरियड '' वापस आजायेगा । फिलहाल कांग्रस ये कोशिश मैं हें , अपितु इन दिनों मिल रहीं सफलता की वलबूते पर आनेवाले लोकसभा चुनाव मैं , पुनः पंजे का परचम लहरा सके ।