आज भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह देशवासियों को २०२० के नए ग्लोबल भारत का सपना दिखा रहे हें। परन्तु, भारत के मौजूदा हालत की हकीकत किसी से छुपी नही हें। आज दो वक्त की रोटी के लिए मा-बाप अपनी बोचो को भी बेच देते हे, अथवा , कम उम्र से ही अपने बोचो को दुकान या सड़क के किनारे भिक मांगने के लिए भेज देते हें। ये माँ-बाप मजबूर हें, एसी जिन्दगी जीने के लिए।
भारत मैं पाचिमी ओडिशा, आंध्र- प्रदेश का तटीय प्रान्त, महारास्त्र के बिधार्ब-प्रान्त जेसे इलाके मैं भुकमरी की बजह से किसान आत्महत्या कर रहें। वजह साफ हें - कर्ज से दुबे किसान को खेती मई फसल न होना हें। दुसरे प्रान्तों का भी यही आलम हें। सरकार अपनी योजोनाओ को उपलब्धि बताती हें, परन्तु हकीकत यही हे की योजोना सफल नही हो पाई, कियु की राजनैतिक व प्रसासनिक एचा शक्ति का अभाब हें। बिधर्ब की एक कलाबती को मुआबजा देने से भाबिस्य के उज्वल भारत का गठन नही होता हें। देश मई एसी बहत कलाबती हें , जिहने रोज दो वक्त रोटी भी नसीब नही हो पति हें।
सरकार व राजनैतिक नेता संरखन की दुहाई देते हें। आज ओडिशा के दखिन-पछिम खेत्रचातिश्गद के दखिन-पूरब खेत्र झारखण्ड के दखिन खेता और उतर पूरब राज्यों जेसे आदिवासी इलाके के निवासी आज जंगल मैं, बहुत ही बुरा हाल मैजी रहे हें। उनको खाने के लिए जंगलो मैं भटकना पड़ता हें।
किसी को बीमारी होने से इलाज के लिए तंत्र- मंत्र बाबा की सहायता लेना पड़ता हें। मलेरिया, तेफेद, को देवी माँ की श्राप मानते हें। वह २१वि सताब्धि के वैज्ञानिक तकनीक की स्वास्त्या सेवा, आज भी पहुची नही हें। सबसे दूर उन वादिवासियो को संरखन की राजनीती पता नही हें। वो अपनी जिन्दगी आज भी वही पुराने तरीके से बुरे हल मैं जीते हें। यही बर्तमान भारत की हकीकत हें।
देश की पूंजीपतियों और उद्याग्पति को लाभ हुआ हें। परन्तु लोगो की हालत मैं कोई परिवर्तन नही हुआ हें। इसके बाद तो लोग विस्थापन से जूझ रहें हे और लोगो को घर, खेत को छोड़ना पड़ा। देश का आजादी के साथ साल के बाद देश की ये आलम हे, तो आप बोलिए की प्रधानमंत्री जी का २०२० का ग्लोबल इंडिया का सपना, आख़िर दस साल मैं, देश का मौजूदा स्वरुप मई बदल पाएगा ?
बिल्कुल नही , कियु की जब तक, नेता अपनी दलीय राजनीती और प्रसासनिक अधिकारी अपनी स्वार्थ से परे जाकर देश के लिए कुछ नही सोचेंगे , तब तक भारत के गणतंत्र की इस मौजूदा तस्वीर मई कोई बदलाव नही होगा।
Thursday, December 18, 2008
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7 comments:
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं… एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न रहे… धन्यवाद
हिंदी लिखाडि़यों की दुनिया में आपका स्वागत। अच्छा लिखें । खूब लिखें हजारों शुभकामनांए।
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी करने में कोई बाधा न रहे… धन्यवाद
accha likha hai...lakin HTML format main likhe...visibility acchi rahegi....bahut khub likha hai ..
ब्लॉग़ की दुनिया में छा जाओ अच्छा लिखो
aapne bahut hi basic mudde ko fir se uthaaya hai...... par aaj ke jamaane mein jahan metro train, fly-over, big baazar, mcdonald ki charcha ko zaroori baat mana jata hai... wahan per aisi baat karna apraadh hai... logo ko lagta hai ki ye bate to kisi doosre India mein hoti hongi..... unka INDIA to bahut achchha hai kyonki yaha per uparokt 4-5 cheeze asani se milti hain..... aur fir, (they think) bhikhaari to log shauk se ban jaate hai.
Absolutely right
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
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हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी शुभकामनायें.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
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